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नेता और दल का झंडा लेकर घूमने से नहीं बदलेगा बिहार, प्रशांत किशोर ने बताया बदलाव का यह प्लान

इसी तरह चौथी शादी बंगाल की पूजा कुमारी से की थी, जिसने कल्याणपुर थाना में शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का मामला दर्ज कराया है. दो मामलों में वह पिछले कई महिनों से फरार चल रहा था. गिरफ्तार अभियुक्त के थाना हाजत से फरार होने पर प्रभारी थानाध्यक्ष डीएन राम ने बताया कि इसके उपर और कई थानों मे मामले दर्ज हैं, जिसका पता लगाया जा रहा है. साथ ही आरोपी को पकड़ने के लिए छापामारी की जा रही है.

जन सुराज यात्रा के 66वें दिन आज राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके पूर्वी चंपारण के चिरैया प्रखंड के गांवों में रहे. यहां उन्होंने नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार उतना बुरा नहीं है जितना सिस्टम में बैठे नेताओं ने बना रखा है. नेता ऐसा माहौल अपने निजी हित के लिए बनाए हुए हैं, ताकि उनको बंदूक वाले सरकारी गनमैन मिल सके.

पीके ने कहा, मैं पिछले 65 दिनों से बिहार के हर गली-मुहल्ले घूम रहा हूं और मुझे किसी ने परेशान नहीं किया. सवाल है फिर जनता दूसरे नेताओं पर हमला क्यों कर रहे हैं? ऐसा, इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने आम जनता से जो बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य पर जो वादा किया था उसे अब तक पूरा नहीं किया गया. उन्होंने आम जनता से वोट तो लिया पर उनका भला ना करके, अपने और अपने परिवारवालों का भला किया है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.

प्रशांत किशोर ने कहा कि 60 प्रतिशत लोगों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं है. उनकी किस्मत में मजदूरी करना ही लिखा है और मजदूरी कर रहे हैं. बिहार में जो खेती कर रहे हैं उनको सरकार की तरफ से यूरिया, पोटाश, बीज समय पर नहीं मिल रहा है. अगर किसी गांव में किसान अनाज उपजा भी रहे हैं तो उसकी कीमत बाजार में नहीं मिल रही है. जिन युवाओं को दुकान खोलना है उनके पास जमीन नहीं होने की वजह से लोन नहीं मिल पा रहा है. इसी कारण से बिहार के लोग दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं.

पीके ने कहा कि अब तक कोई भी पार्टियां गांव में किसी एक भी व्यक्ति से यह पूछने नहीं आये कि विधायक कौन होगा? क्योंकि अन्य पार्टियों ने आपके पास कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा है. इसलिए मैं यहां जन सुराज के माध्यम से आप सबको समझाने आया हूं कि साथ दीजिए ताकि “मिलकर बनाओ और मिलकर चलाओ” वाली सरकार बने. वरना इतिहास रहा है कि नेता और दल का झंडा लेकर घूमने से बिहार की स्थिति ना बदली है ना बदलेगी.

दरअसल उत्तर प्रदेश के बलिया जाने के लिए लोग अधिकतर नाव के ही सहारा लेते हैं, क्योंकि सड़क मार्ग से काफी दूरी तय करनी पड़ती है और समय भी लगता है. हालांकि सीवान के दरौली पंच मंदिरा घाट से नाव से दूरी तय करने पर मात्र 30 मिनट में ही 5 किलोमीटर की दूरी तय कर उत्तर प्रदेश के बलिया खरीद घाट पहुंच जाते हैं. इससे 50 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है और लोग खरीद घाट से बलिया चले जाते हैं.

पंच मंदिरा घाट से रोजाना तीन स्टीमर का होता है परिचालन

सीवान मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सरयू नदी के तट पर दरौली प्रखंड बसा है. दरौली के पंच मंदिरा घाट और शिवाला घाट से तीन स्टीमर का परिचालन प्रतिदिन होता है. जहां से स्ट्रीमर के जरिए सफर आए दिन सैकड़ों लोग सफर करते हैं. नाव पर ही लोगों के साथ-साथ उनकी बाइक, साइकिल और समान लोड हो जाता है. आधे घंटे के पश्चात यात्री दरौली के विभिन्न घाटों से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के खरीद घाट पहुच जाते हैं. जहां से अपनी बाइक या सवारी गाड़ी पकड़कर बलिया चले जाते हैं.

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